पुराने समय से ही भारत को एक पुरुष प्रधान देश माना गया है। जब किसी दम्पति को बच्चा नहीं होता तो इसका जिम्मेदार महिला को ही माना जाता है। जबकि पुरुष पर कोई भी उंगली नहीं उठाता। आज हम आपको बताएंगे कि संतान उत्पत्ति ना होने का कारण पुरुषों में सबसे ज़्यादा देखा गया है।
शोध में पाया गया पिछले 40 साल में लगभग 70% तक पस्चिमी देशो में रहने वाले पुरुषों के शुक्राणु की संख्या कम हो गई है। इसका कारण आधुनिक दुनिया माना जा रहा है जो पुरुषों की हेल्थ पर बहुत ही बुरा प्रभाव डाल रहा है। प्रोसेस्ड मांस, आलू और सोया पुरुषों की फर्टिलिटी पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
रिचर्ड शेर्प का कहना है कि उत्तरी यूरोप में आज 16% युवा पुरुषों में इतना कम शुक्राणु गिनती में है कि उनकी प्रजनन क्षमता बिगड़ रही है और जब ये महिलाएं के सात 30 की उम्र के बाद फैमिली प्लानिंग करती हैं तो ये रेट डबल हो जाता है। यानि कपल्स की फर्टिलिटी अधिक डाउन हो जाती है।
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